Thursday, 16 March 2017

रोज सुबह को आता हूँ रोज..

रोज सुबह को आता हूँ रोज शाम को जाता हूँ मेरे आने से होता उजियारा,जाने से होता अँधियारा ?

बिन बताये रात को आते हैं..

बिन बताये रात को आते हैं बिन चोरी किये गायब हो जाते हैं बताओ तो क्या हैं ?

ना कभी किसी से किया झगड़ा ना कभी..

ना कभी किसी से किया झगड़ा ना कभी करी लड़ाई फिर भी होती रोज पिटाई ?

पैर नहीं फिर भी चलती है..

पैर नहीं फिर भी चलती है बताओ क्या ?

तीन पैरों वाली तितली नहा..

तीन पैरों वाली तितली नहा धो के कढ़ाई से निकली

काली काली माँ लाल लाल बच्चे..

काली काली माँ लाल लाल बच्चे जिधर जाए माँ, उधर जाए बच्चे

बूझो भैया एक पहेली जब..

बूझो भैया एक पहेली जब भी काटो तो निकले नई नवेली ?

गोल गोल घूमता जाऊं..

गोल गोल घूमता जाऊं ठंडक देना मेरा काम गर्मी में आता हूँ काम ?

मुर्गी अंडा देती है और गाय दूध देती है..

मुर्गी अंडा देती है और गाय दूध देती है। पर ऐसा कौन है जो अंडा और दूध दोनों ही देता है?

गोल गोल आखों वाला लंबे लंबे..

गोल गोल आखों वाला लंबे लंबे कानों वाला गाजर खूब खाने वाला इसका नाम बताओ लाला ?

ना मुझे इंजन की जरूरत..

ना मुझे इंजन की जरूरत ना मुझे पेट्रोल की जरुरत जल्दी जल्दी पैर चलाओ मंजिल अपनी पहुँच जाओ ?

मैं हरी मेरे बच्चे काले..

मैं हरी मेरे बच्चे काले मुझे छोड़ मेरे बच्चे खाले ?

रंग है मेरा काला उजाले..

रंग है मेरा काला उजाले में दिखाई देती हूँ अँधेरे में छिप जाती हूँ ?

पानी मेरा पिता पानी ही..

पानी मेरा पिता पानी ही मेरा बेटा | मुख ऊपर कर देखो , मै हू ऊपर लेटा ||

बीच काट कर मली गईं..

बीच काट कर मली गईं, शुरु काट कर छली गईं | जल में रह कर सुख भोगा, बाहर आकर तली गईं ||

ऊंट सा वह बैठे..

ऊंट सा वह बैठे, मृग-सा वह चलता चाल | एक जीव है ऐसा , पूंछ नही बांकेलाल ||

दो आखर का नाम है मेरा..

दो आखर का नाम है मेरा ,किन्तु पाँव है चार| उन पाँव से चल नही पाता, पूछ पहेली हो तैयार ||

मोटा पेट है मेरा भाई..

मोटा पेट है मेरा भाई, मुख है मेरा छोटा गोल || प्यासे की मै प्यास बुझाऊ, रहस्य फटाफट खोल ||

संसार जाने मै हू ख़राब..

संसार जाने मै हू ख़राब, फिर भी पीछे सब जनाब | अक्ल ,आत्मा , धन तथा मान , सबका करती हू मै नाश||

जन्मे रहे पतली डाल..

जन्मे रहे पतली डाल, बदन का रंग हरा | सिंगार का साधन यह , रगड़ दिया हाथ में रंग भरा ||

अगर धूल-कचरे..

अगर धूल-कचरे, से बचना चाहो | मुझे पकड़ो घुमाओ, सब स्पष्ट पाओ ||

धन दोलत से बड़ी है..

धन दोलत से बड़ी है यह सब चीजों से ऊपर है यह जो पाए इसे पंडित बन जाए बिन पाए इसे मूर्ख रह जाए ?

शुरू कटे समूह बन जाऊ..

शुरू कटे समूह बन जाऊ बीच कटे तो कैश बन काहू | बारिश ऋतु में उमड़-उमड़ कर, किसानो के मन को हरषाऊ||

बिना चोंच पैर-पंख की चिड़िया..

बिना चोंच पैर-पंख की चिड़िया, धागे को लेकर चल दी | डोल रही हैं आकाश में, आयेगी नहीं जल्दी ||

एक कली में दो हैं कली..

एक कली में दो हैं कली, दो कली में हैं रस | जवाब सही बतलाओगे तो , रूपए तुम्हे मिलेंगे दस ||

शुरू कटे तो बनती मेली..

शुरू कटे तो बनती मेली, बीच कटे से बनू चली| तीन आखर का मेरा नाम, फूल लता लो मुझको जान ||

पत्तो के समान उसका रंग..

पत्तो के समान उसका रंग, कुतर-कुतर खाने हैं ढंग | पिंजरे में भी वह पाला जाता , नाम बता दो अब तो ज्ञाता ||

हाथ में हरा मुह में लाल..

हाथ में हरा मुह में लाल, क्या चीज हैं बताओ प्यारे लाल |

दिखने में वह काला हैं..

दिखने में वह काला हैं, और जलने पर लाल, फेंकने पर हैं वह लाल, खोलो बच्चो उसका भेद |

बिना कान के सुनने वाला..

बिना कान के सुनने वाला , नीचे गोरा उपर काला |

न ही मै खाता हूँ..

न ही मै खाता हूँ , न ही पीता हूँ , फिर भी सब्के घरो की , मै रखवाली करता हूँ |

मेरे नाम से सब डरते हैं..

मेरे नाम से सब डरते हैं , मेरे लिए परिश्रम करते हैं |

हरा डिब्बा पीला मकान..

हरा डिब्बा पीला मकान, उसमे बेठे कल्लू राम |

चाची के दो कान ,चाचा के..

चाची के दो कान,चाचा के नही कान,चाची अति सुजान,चाचा को कुछ ना ज्ञान |

घुसा आँखों में मेरा धागा..

घुसा आँखों में मेरा धागा, दर्जी के घर से मै भागा |

काली नदी सुहावनी..

काली नदी सुहावनी , पीले अन्डे दे , जो आये आदमी , सभी समेट ले |

खड़ा द्वार पर ऐसा घोडा..

खड़ा द्वार पर ऐसा घोडा, जिसने चाहा पेट मरोड़ा |

चार हैं रानिया और एक हैं राजा..

चार हैं रानिया और एक हैं राजा, हर एक काम में उनका अपना साँझा |

काला हंडा, उजला भात..

काला हंडा, उजला भात , ले लो भाई हाथो -हाथ |

लाल -लाल डिबियां पीले हैं..

लाल -लाल डिबियां पीले हैं खाने , डिबियां के भीतर मोती के दाने |

लम्बी पूंछ पीठ पर रेखा..

लम्बी पूंछ पीठ पर रेखा , दोनों हाथो खाते देखा |

तीन अक्षर काम मेरा नाम , आता हूँ खाने के काम , मध्य कटे तो बन जाऊ चाल, मेरा नाम सदा तत्काल |

तीन अक्षर काम मेरा नाम, आता हूँ खाने के काम, मध्य कटे तो बन जाऊ चाल, मेरा नाम सदा तत्काल |

कहलाती हैं रात की रानी..

कहलाती हैं रात की रानी , आँख से निकले हरदम पानी |

सर के नीचे दबी रहे..

सर के नीचे दबी रहे , लेकिन चूं तक न करती हैं, बच्चो ,बोलो कोंन हैं वो , जो साथ तुमारे सोती हैं |

सात गांठ की रस्सी..

सात गांठ की रस्सी , गांठ -गांठ में रस , इसका उतर जो बताये , नाकु भेया देंगे रूपये दस |

नया खजाना घर में आया...

नया खजाना घर में आया, डब्बे में संसार समाया, नया करिश्मा बेजोड़ी का,इस योगी का नाम बतलाओ ?

आदि कटे तो बड़ी बने..

आदि कटे तो बड़ी बने , अन्त कटे तो भगवान , बच्चो, उसका नाम बतलाओ , तो खाओ मिष्ठान ?

सिर पे उसके देखा मटका..

सिर पे उसके देखा मटका , मटके को गर लाकर पटका , कुछ खाया कुछ को फ़ेंका , मटके का पानी भी गटका |

एक गुफा के दो रखवाले..

एक गुफा के दो रखवाले, दोनों लम्बे, दोनों काले|

लाल हरे सब मोती से..

लाल हरे सब मोती से पैदा होते खेती से बड़े दूर से आते है बड़े चाव से खाते है |

अजब सुनी इक बात..

अजब सुनी इक बात , नीचे फल और उपर पात |

दाने-दाने गिनती जाती..

दाने-दाने गिनती जाती दादी अम्मा रोज फिराती ?

न बीज न गुठली..

न बीज न गुठली , छिलका उतारो तो हलवे कि डाली |

पेट मे अंगुली सिर पर..

पेट मे अंगुली सिर पर पत्थर जल्दी से बताओ उसका उतर |

उस राजा की अनोखी ..

उस राजा की अनोखी रानी, दुम के रास्ते पीती पानी |

उसमे बेठा काला शैतान..

उसमे बेठा काला शैतान , गर्मी मे दिखता, सर्दी मे गायब हो जाता |

शक्तिशाली संसार मे करूं..

शक्तिशाली संसार मे करूं मनुष्य के काम | जल पीते ही तुरन्त, जाऊ में फिर सुरधाम | |

आखिर कटे,अंधा हो जाये..

आखिर कटे,अंधा हो जाये , फिर भी करता प्रकाश | शुरू कटे तो रज बन जाये . गंगा नही इसका निवास | |

एक गुफा और बतीस चोर..

एक गुफा और बतीस चोर , बतीस रहते है तीन और , बारह घंटे करते है काम, बाकी वक्त करे काम |

एक नारी की चाल निराली..

एक नारी की चाल निराली , बे सर काटे रह वह रूठी , जब करे उसका मुह काला , काम करे सबसे निराला |

एक गाँव मे आग लगी..

एक गाँव मे आग लगी , दुसरे गाँव मे धुंवा , चलो मित्र चलकर देखे , उठा भूमि का कुआ |

उबले हुए भुने हुए और..

उबले हुए भुने हुए और तले हुए भूरे-भूरे, आता खाने के काम तुम्हारे , हर सब्जी मे घुल मिल जाता , तो बताओ मेरा नाम ?

जैसे तुमने मुझे खाया..

जैसे तुमने मुझे खाया , मेने तुम्हारी जीभ पर अपना जोर दिखाया, मुँह सारा जल उठा और आँखों में पानी आया। क्या अब आपको मेरा नाम याद आया ?

बड़े काम की हूँ मैं..

बड़े काम की हूँ मैं ,खाकर खरगोश दौड़ लगाते हैं। लाल लाल ताजी मुझे देख, सभी लार टपकाते हैं तो बताओ मेरा नाम ?

हम बीस लोग हैं , हर बार..

हम बीस लोग हैं , हर बार तुम हमारे सर काटते , हम फिर उग आते , तो बताओ नाम जाते जाते !!

चख कर स्वाद बताती..

चख कर स्वाद बताती,खट्टा मीठा नमकीन, सारे स्वाद मुझे पता, तो बताओ मेरा नाम !!

सारे संसार का हाल दिखाती..

सारे संसार का हाल दिखाती, तुम मेरे बिना कहलाते अंधे , मेरा नाम तो बताओ बन्दे !!

सुनना मेरा काम..

सुनना मेरा काम , रात को करता आराम , रात कोई होती आवाज , तुम्हे करता होशियार !!

मीठा हूँ , चिपचिपा हूँ ..

मीठा हूँ , चिपचिपा हूँ , फूलों से निकलता हूँ , मखियाँ लेती चूस , तो बताओ मेरा नाम ?

गर्मी मे आता तुम्हारे काम..

गर्मी मे आता तुम्हारे काम , पीने का पानी करता ठंडा बिना बिजली के , मिटटी का बना हूँ , बताओ मेरा नाम ?

मुझे खिलाओ तो मैं जिन्दा रहूंगी..

मुझे खिलाओ तो मैं जिन्दा रहूंगी , पानी पिलाओगे तो मर जाउंगी , तो बताओ क्या कहते मुझे ?

बो क्या चीज है जिसका..

बो क्या चीज है जिसका head और tail है पर शरीर नहीं है ?

मोबाइल की आत्मा कहलाऊँ..

मोबाइल की आत्मा कहलाऊँ , इसके बिना मोबाइल काम ना आए, तो बताओ क्या यह कहलाए ?

काली खेती ऐसी...

काली खेती ऐसी , जिसको तुम रोज तेल से सिंचे , किसी की खेती सफेद हो जाये , किसी की खेती गायब , तो भैया क्या कहलाती यह ?

अंदर से लाल , ऊपर..

अंदर से लाल , ऊपर से हरा, पर है रस से भरा ?

एक इस पक्षी आसमान मे उड़ता..

एक इस पक्षी आसमान मे उड़ता जाये , जैसे जैसे इसकी डोर को ढील वैसे आगे बढ़ता जाये , तो बताओ क्या यह कहलाए ?

हरे पत्तों जैसा मेरा रंग..

हरे पत्तों जैसा मेरा रंग , हरी मिर्ची मुझे बहुत पसंद , नाम मेरा बूझो तो जाने ?

दिन भर सोता रहे ..

दिन भर सोता रहे , रात को आकर गाना सुनाए, ओर मौका मिलते खून पी जाये , तो बताओ यह क्या कहलाये ?

सभी जानते मुझे पीना है खराब..

सभी जानते मुझे पीना है खराब , फिर भी मेरे पीछे पड़े कई जनाब , धन शरीर का करती नाश , कोई बता दे मेरा नाम ?

जन्म मे रहे पतली हरी डाल..

जन्म मे रहे पतली हरी डाल , हाथ रंगने के आती काम , हाथ मे पहले हरी लगती , सुख कर होती लाल , तो बताओ मेरा नाम ?

धूप लगे पैदा हो जाये छाँह..

धूप लगे पैदा हो जाये छाँह लगे मर जाये करे परिश्रम तो भी उपजे हवा लगे मर जाये ?

गर्मी में जिससे घबराते जाड़े..

गर्मी में जिससे घबराते जाड़े में हम उसको खाते उससे है हर चीज चमकती दुनिया भी है खूब दमकती

जो जाकर न वापस आये जाता..

जो जाकर न वापस आये जाता भी वह नजर न आये सारे जग में उसकी चर्चा वह तो अति बलवान कहाये

कपड़े उतरवाएँ पंखा चलवाए ..

कपड़े उतरवाएँ पंखा चलवाए कहती ठंडा पीने को अभी-अभी तो नहा के आया फिर से कहती नहाने को

प्यार करूँ तो घर चमका..

प्यार करूँ तो घर चमका दूँ वार करूँ तो ले लूँ जान जंगल में मंगल कर दूँ कभी कर दूँ मैं शहर वीरान

Agar Naak pe chad..

Agar Naak pe chad jau Kaan pakad kar tumhe padau Btao kya?

लोहा खींचू ऐसी ताकत है..

लोहा खींचू ऐसी ताकत है, पर रबड़ मुझे हराता है, खोई सूई मैं पा लेता हूँ, मेरा खेल निराला है।

ऊपर से नीचे बहता हूँ..

ऊपर से नीचे बहता हूँ, हर बर्तन को अपनाता हूँ, देखो मुझको गिरा न देना वरना कठिन हो जाएगा भरना।

मुझमें भार सदा ही रहता..

मुझमें भार सदा ही रहता, जगह घेरना मुझको आता, हर वस्तु से गहरा रिश्ता, हर जगह मैं पाया जाता

गर्मी में तुम मुझको खाते..

गर्मी में तुम मुझको खाते, मुझको पीना हरदम चाहते, मुझसे प्यार बहुत करते हो, पर भाप बनूँ तो डरते भी हो।

तुम न बुलाओ मैं आ जाऊँगी..

तुम न बुलाओ मैं आ जाऊँगी, न भाड़ा न किराया दूँगी, घर के हर कमरे में रहूँगी, पकड़ न मुझको तुम पाओगे, मेरे बिन तुम न रह पाओगे, बताओ मैं कौन हूँ?

दुनिया भर की करता सैर...

दुनिया भर की करता सैर, धरती पर ना रखता पैर , दिन मे सोता रात मे जगता , रात अँधेरी मेरे बगैर, अब बताओ मेरा नाम ?

ऐसा एक अजब खजाना...

ऐसा एक अजब खजाना, जिसका मालिक बड़ा स्याना, दोनों हाथों से लुटाता, फिर भी दौलत बढती जाये !! बताओ क्या ?

हरी डंडी लाल कमान..

हरी डंडी लाल कमान तोबा तोबा करे इन्सान बताओ क्या?

दो सुन्दर लड़के दोनों..

दो सुन्दर लड़के दोनों एक रंग के एक बिछड़ जाए तो दुसरा काम ना आये

एक थाल मोतियों से भरा..

एक थाल मोतियों से भरा सबके सर पर उलटा धरा चारों ओर फिरे वो थाल मोती उससे एक ना गिरे ?

ऐसी कौन सी चीज़ है जिसे..

ऐसी कौन सी चीज़ है जिसे आगे से तो बनाया हैं भगवान ने और पीछे से इंसान ने

दो किसान लड़तें जाए..

दो किसान लड़तें जाए उनकी खेती बढ़ती जाए.

हरी थी मन भरी थी..

हरी थी मन भरी थी नो लाख मोतियों से जड़ी थी राजा जी के खेत में दुप्पटा ओढ़े खड़ी थी

Wednesday, 15 March 2017

बूझो भैया एक पहेली जब..

बूझो भैया एक पहेली जब काटो तो नै नवेली?

एक फूल है काले रंग..

एक फूल है काले रंग का सर पर हमेशा सुहाए तेज धुप में खिल खिल जाता पर छाव में मुरजाये ?